* अहसास *

                     

टीनू एक नासमझ लड़की थी पढ़ने - लिखने में भी उसका कुछ ख़ास मन नहीं लगता था ! माँ उसे हमेशा घर का पता  और मोबाइल नम्बर याद करवाने की कोशिश करतीं रहतीं थीं, पर टीनू थी कि हमेशा टाल देती थीं  !

टीनू के पिता बचपन में ही गुजर गए थे इसीलिए टीनू लाड - प्यार में थोड़ा बिगड़ गई थी, 1 दिन की बात है टीनू रोज की तरह स्कूल बस से वापस घर आ रही थी बस से नीचे उतरी तो उसने एक खरगोश के बच्चे को देखा, वह सफेद रंग का खूबसूरत नीली आंखों वाला खरगोश का बच्चा था उस बच्चे से थोड़ी दूरी पर उसकी मां घास खा रही थी ! टीनू ने बच्चे को देखा तो उससे रहा नहीं गया वह उसे पकड़ने की कोशिश करने लगी !....थोड़ी देर बाद उसने बच्चे को पकड़ लिया और उसे अपने साथ घर ले आई.... जो कि वहां से बस कुछ ही दूरी पर था टीनू की माँ नें खरगोश के बच्चे को टीनू के हाथ में देखा तो बोली....... टीनू.. ... इसे तुम कहां से ले आई ........ टीनू -....... यह मुझे यही पास में मिला ! मां -...इसे जाकर फौरन वहीं पर छोड़ आओ...... टीनू -....... नहीं मां मैं इसे नहीं छोडूंगी ! देखो ना कितना प्यारा है.... मां -... बेटा इसकी मां परेशान होगी ना........... टीनू नहीं होगी..... कहते हुए उसे कमरे में ले गई.... माँ उसके पीछे - पीछे जाते हुए..... बेटा जिद नहीं करते जाओ इसे छोड़ कर आओ, देखो जैसे तुम मुझसे प्यार करती हो ना वैसे ही यह भी अपनी मम्मी को बहुत चाहता है और उसके बिना नहीं रह सकता उसे अपनी मां की जरूरत है इसकी मां भी इसे ढूंढ रही होगी पर टीनू पर तो जैसे कोई बात का असर ही नहीं हो रहा था वह तो बस जिद पर अड़ी थी... कि वह उसे अपने साथ रखेगी शाम को खरगोश के बच्चे के साथ खेलते हुए..... माँ यह क्या खाता है..... मां -....यह अभी बहुत छोटा है सिर्फ दूध पीता है... टीनू अच्छा कहकर रसोई की तरफ दौड़ गई और कटोरी में दूध लाकर खरगोश के बच्चे के सामने रखकर बोली...  लो दूध पी लो...... मां-.... वह ऐसे दूध नहीं पिएगा अभी वह अपनी माँ का दूध पीता है...... अच्छा....... ! टीनू सोचते हुए बोली...... इसकी माँ तो यहां नहीं है अब यह कैसे दूध पियेगा......... माँ-.......हाँ इसीलिए मैंने कहा था कि उसे उसकी माँ के पास ही रहने दो..... टीनू -....माँ पिलीज आप किसी भी तरह उसे दूध पिला दो न..... माँ -...ठीक है कोशिश करती हूँ  माँ खरगोश के बच्चे को चम्मच से दूध पिलाते हुए......टीनू देखो ये दूध नहीं पी रहा यह कितना उदास है, इसे इसकी मां की याद आ रही है..... हम चाहे इसको जितना प्यार करें पर इसकी मां की तरह हम इसे नहीं पाल सकते ..... नहीं....! मैं इसका बहुत ध्यान रखूंगी इसे बहुत सारा प्यार करूंगी यह कभी अपनी मां को याद नहीं करेगा.....टीनू यह कहते हुए अपने कमरे में चली गई....
अगले दिन टीनू  के मामा जी टीनू के घर आए.. . रक्षाबंधन की छुट्टी थी टीनू और उसकी मां को मामा के साथ नानी के घर जाना था खरगोश को टीनू एक छोटी सी डोलची में रखकर अपने साथ ले गई..... नानी के यहां मेला लगा हुआ था टीनू मां, नानी और मामी के साथ मेला देखने गई वह सब एक दुकान पर सामान लेने लगी मां ने टीनू को हिदायत दी कि हमारे साथ साथ ही रहना..... और उसे अपने पास खड़ा कर लिया वह सामान लेने के लिए थोड़ा आगे बढ़ी और टीनू अपनी आदत के अनुसार इधर-उधर देखने लगी उसने खरगोश के बच्चे से कहा जिसे वह अपने साथ मेले पर भी लेकर गई थी.... छोटू.... चल हम थोड़ा सा घूम लेते हैं.... इतना कह कर वह घूमते - घूमते काफी आगे चली गई कुछ देर बाद टीनू मेले में इधर-उधर भटकने लगी और माँ -माँ कहकर रोने लगी लेकिन उसे मां कहीं पर भी नजर नहीं आ रही थी.... एक व्यक्ति वहीं पर खड़ा था उसने इधर-उधर देखा आसपास के सभी लोग व्यस्त थे उसने टीनू को समझाया कि वह रोए नहीं वह उसे मां के पास ले जाएगा टीनू को उसकी बात पर यकीन हो गया..... टीनू अपने आँसू पोंछते हुए ...... अंकल.... ! क्या आप सच में मुझे मेरी मां के पास ले जाओगे..... ? वह व्यक्ति बोला..... हां बेटा....  पर तुम अब रोना मत.. ...  टीनू -....ठीक है अंकल.... उसने टीनू को गोद में उठाया और तेजी से भीड़ को चीरता हुआ मेले के बाहर आ गया जहां पर उसकी मारुति खड़ी थी उसने टीनू को जल्दी से उसमे बैठाया और गाड़ी तेज रफ्तार में चला कर वहां से निकल गया रास्ते में...  अंकल... ! मां तो मेले में है... आप मुझे कहां ले जा रहे हैं ? टीनू ने सवाल किया  वह व्यक्ति-.... बेटा तुम खो गई थी ना इसलिए माँ तुम्हें ढूंढते हुए घर आ गई है, मैं तुम्हें वहीं पर ले जा रहा हूं,.... टीनू ने मुस्कुराते हुए कहा...... अंकल आप कितने अच्छे हैं..... उस व्यक्ति ने जहां गाड़ी रोकी वहां पर एक आलीशान मकान बना हुआ था.... टीनू -...यह मेरे मामा जी का घर नहीं है..... वह व्यक्ति -....अरे तुम्हारी मां यहीं पर है तुम आओ मेरे साथ.... टीनू खरगोश के बच्चे को लिए हुए आगे बढ़ी उसने चारों ओर देखा सामने से एक आदमी और एक औरत चले आ रहे थे टीनू को देखते ही उनके होठों पर मुस्कुराहट आ गई..... वह व्यक्ति -...साहब यह रही आपकी अमानत, संभालिए...... और यह कहकर उस व्यक्ति ने टीनू का हाथ उनके हाथ में थमा दिया और वहां से जाने लगा.... टीनू -......अंकल मेरी मां कहां है ? इससे पहले कि वह कुछ और कहती वह औरत टीनू के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली ..... बेटा आपका नाम क्या है ? टीनू गुस्से में चिल्लाते हुए बोली ... .. नहीं बताऊंगी, मुझे मेरी मां के पास जाना है, मेरी मां कहां है ? कहते हुए ज़ोर -ज़ोर से रोने लगी ..... वह औरत टीनू को समझाते हुए बोली..... बेटा मेरे साथ अंदर तो चलो वहां पर तुम्हारा कोई इंतजार कर रहा है .... टीनू पैर पटकते हुए उसके साथ जाने लगी..... वह औरत उसे एक कमरे में ले गई उस कमरे में बहुत सारे खिलौने रखे हुए थे वह टीनू को खिलौने दिखाते हुए बोली.... बेटा आज से यह कमरा आपका है यहां पर रखा हुआ सारा सामान भी आपका है  टीनू -... आंटी पर यह मेरा कैसे हो सकता है यह घर मेरा नहीं है यह तो आपका घर है..... यह घर आज से आपका भी है आप मेरी बेटी जो हो..... वह औरत मुस्कुराते हुए बोली..... टीनू गुस्से में...... नहीं मैं आपकी बेटी नहीं हूं, मैं मेरी मां की बेटी हूं, और मेरा घर वहां......... कहते -कहते रुक गई उसे ना तो अपने शहर का नाम मालूम था और ना घर का पता क्योंकि मां जब भी उसे बताती थी तब वह कभी ठीक से सुनती ही नहीं थी.... उसकी आंखों से आंसू बहने लगे वह औरत उसे गले लगाना चाहती थी उसे प्यार करना चाहती थी पर टीनू ने उसे अपने पास ही नहीं आने दिया और टीनू की जिद के आगे हार मान कर वह कमरे से बाहर चली गई..... अब कमरे में टीनू और सिर्फ खरगोश का बच्चा था..... टीनू ने उसे गोद में उठाया और लिपट कर जोर - जोर से रोने लगी..... अब उसकी समझ में सब कुछ आ गया था मेले से जो व्यक्ति उसे लाया था वह बच्चा चोर था और वह टीनू को इस संपत्ति को बेच गया था आज टीनू को एहसास हो रहा था कि मां क्या होती है और मां की जगह कोई नहीं ले सकता मगर "अफसोस " इन सब बातों के लिए बहुत देर हो चुकी थी वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी..... आज उसे रह - रह कर वह दिन याद आ रहा था जब उसने खरगोश के बच्चे को उसकी मां से दूर किया था उसे समझ आ गया था कि इस बच्चे को भी अपनी मां से दूर होकर इतनी ही तकलीफ हुई होगी जितनी आज मुझे हो रही है....... मगर अब कुछ नहीं हो सकता था दोनों ही अपनी मां की ममता से बहुत दूर हो चुके थे.....

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