*अर्पण *
हमारी जिंदगी में कभी कोई इतना खास बन जाता है, कि हम उसके लिए सब कुछ करना चाहते हैं ! उसकी छोटी सी भी तकलीफ हम से बर्दाश्त नहीं होती, हमें बस ऐसा लगता है कि हम ऐसा क्या करें कि उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाए और उसकी छोटी सी मुस्कुराहट के लिए अगर हमें तकलीफों का भी सामना करना पड़े तो हम पीछे नहीं हटते उसकी खुशी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देना चाहते हैं !
मेरी यह कहानी अर्पण ऐसे ही "खास"इंसान पर आधारित है !
मेरा नाम प्रेरणा है, मैं एक मध्यम परिवार मैं पली बढ़ी हूं, घर पर मां - पापा और छोटा भाई है हमारा मकान कानपुर में है मैं एम ए पास करने के बाद B.Ed कर रही थी आगरा में मुझे कॉलेज मिला था जब भी छुट्टियां होती थी मैं आगरा से कानपुर आ जाती थी ! उस दिन भी मैं कानपुर में ही थी जब यह घटना घटी !
हमारे मोहल्ले में एक परिवार रहता था पति पत्नी और उनके दो बच्चे लड़का करीब 8 साल का था उसका नाम केशव था और लड़की करीब पांच साल की रही होगी, उसका नाम लवली था वह अपने नाम की तरह प्यारी थी वह कभी - कभी हमारे घर आ जाया करती थी लवली के पिता बहुत शराब पीते थे अगर उन्हें शराब के लिए पैसे नहीं मिलते थे तो वह घर का सामान बेच देते थे, लवली की मां दूसरों के घरों में काम करती थी उससे जो पैसा मिलता उससे वह अपना और अपने बच्चों का पेट पालती थी कभी-कभी तो ऐसा होता था कि उसका शराबी पति उसके सारे पैसे छीन लेता था और शराब पी जाता था उस दिन माँ और बच्चों को भूखा ही रहना पड़ता था ! अगर पत्नी कुछ कहती तो वह उसे मारता पीटता था गाली - गलौज करना तो जैसे उसका जन्मसिद्ध अधिकार था
उस दिन में बरामदे में बैठी हुई अपनी किताब पढ़ रही थी कि तभी लवली की मम्मी - पापा के लड़ने की आवाजें तेजी से हमारे घर तक आने लगी मैंने बाहर निकल कर देखा तो लवली और केशव दोनों डरे सहमे से एक तरफ खड़े थे ! मां ने मुझे आवाज दी...... प्रेरणा अंदर आ जाओ, यह तो इनका रोज का काम है अगर बीच में कोई बोलता है तो यह उसे भी गालियां देता है मैं अंदर की तरफ जाने के लिए मुड़ी ही थी कि तभी मेरे कानों ने कुछ ऐसा सुना जिस पर मुझे यकीन नहीं हुआ मैं वापस सीधे खड़े होकर उनकी बातें सुनने लगी..... पत्नी - तुमने मुझसे पूछे बिना इतना बड़ा फैसला कैसे कर लिया ? मैं लवली को कहीं नहीं जाने दूंगी....... ऐसे कैसे नहीं जाने दोगी.... लवली को तो जाना ही पड़ेगा..... शराबी पति गुस्से में बोला..... तुम कितने गिर गए हो.... ? पैसों की लालच में तुमने अपनी बेटी को ही बेच दिया .....पत्नी ने झल्लाते हुए कहा उसका इतना कहना था कि शराबी ने उसे फिर से पीटना शुरू कर दिया और घसीटते हुए घर के अंदर ले गया....... मैंने जाकर मां से कहा, कि कोई इसकी पुलिस में कंप्लेंट क्यों नहीं करता ? भाई हंसते हुए बोला...... कोई फायदा नहीं दीदी एक बार सोहन चाचा ने कंप्लेंट की थी, पर क्या हुआ ? लवली की मां ने हाथ पैर जोड़कर पुलिस वालों को वापस भेज दिया था....... वह शराबी उसके साथ इतना गलत करता है मारता - पीटता है फिर भी वह उसी का साथ देती है..... मेरे मुंह से अचानक ही निकल गया था...... तभी भाई बोला यह भारतीय नारी है दीदी पति कितना ही बुरा क्यों ना हो वह उसे भगवान मानती हैं, तो हमें क्या करना है....... रहने दो उसे उसके भगवान के साथ....... शाम होने वाली थी हम सब चाय पी रहे थे तभी लवली हमारे सामने आकर खड़ी हो गई, वह डरी हुई थी..... मां ने लवली से पूछा -... क्या हुआ बेटा ? बताओ लवली केवल 5 साल की थी वह बोलने में तुतलाती थी, उसने अपनी तोतली आवाज में कहा..... मम्मी और भैया को पापा.......कहते - कहते वह रो पड़ी....... हम सब जब तक उसकी बात समझ पाते तभी पापा की नजर खिड़की पर पड़ी जहां से लवली का घर साफ दिखाई देता था, वह धू -धू करके जल रहा था हम सब बाहर की तरफ भागे जिसे जो मिला वही लेकर वह पानी से भर -भर कर आग पर डालने लगा, पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो गया जैसे तैसे आग पर काबू पाया गया जब अंदर जाकर देखा तो लवली की मां पापा और भैया तीनों बुरी तरह जल गए थे..... पुलिस को सूचना दी गई एंबुलेंस आ गई एक - एक को उठाकर एंबुलेंस में रखा जा रहा था तभी पता चला कि पिता और भाई दोनों की मौत हो चुकी है बस माँ में कुछ जान बाकी थी...... उसकी मां ना जाने क्यों मेरी तरफ देखे जा रही थी शायद वह मुझसे कुछ कहना चाहती थी मैंने लवली का हाथ पकड़ा और उसे उसकी मां के पास ले गई लवली उन्हें देख कर डर गई और मुझसे लिपट गई लवली की मां ने हाथ उठाकर उसकी तरफ इशारा किया और उन्होंने भी अपनी आंखें हमेशा के लिए बंद कर ली
एंबुलेंस उन तीनों को लेकर जा चुकी थी, लवली थी कि मुझे छोड़ ही नहीं रही थी मैंने उसे गोद में उठाया और अपने घर आ गई ! अब बात लवली की थी कि वह कहां रहेगी ? ना ही उसकी पहचान वाला कोई था और ना ही कोई रिश्तेदार वहां आता था जिसे मोहल्ले वाले पहचानते हो...... अगले दिन पापा पुलिस स्टेशन गए और सारी बात बता दी उन्होंने लवली को अनाथ आश्रम भेजने का फैसला किया पापा ने वापस आकर कहा की लवली को अब जाना होगा और यह कहकर उन्होंने लवली को गोद में उठाना चाहा....... लवली ने मेरा दुपट्टा पकड़ लिया और बोली...... मुझे आपके छाथ लहना है...... कहीं नहीं दाना...... और वह रोने लगी, उसके इन शब्दों ने मेरे अंदर ना जाने कैसी हलचल पैदा कर दी मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया, मेरी आंखों से अपने आप आंसू बहने लगे और उसे लेकर मैं अपने कमरे में चली गई
सुबह किसी को बताए बिना ही मैं लवली को लेकर थाने पहुंच गई इंस्पेक्टर से मिली और लवली को गोद लेने का अपना इरादा उन्हें बताया इंस्पेक्टर ने मुझसे मेरे बारे में पूछताछ की और सवाल किया कि आप तो अभी भी पढ़ रही हैं इसकी देखभाल कैसे करेंगी मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि मैं लवली की बहुत अच्छे से देखभाल करूंगी थोड़ी ना नुकुर के बाद वह मान गए..... उन्होंने लवली से पूछा कि क्या तुम इनके साथ रहना चाहती हो ? लवली ने हां में सिर हिलाकर कहा.... हां.... उन्होंने मुझसे कुछ पेपर पर साइन करवाएं और लवली को मेरे साथ जाने की इजाजत दे दी
मैं लवली को लेकर घर वापस आ गई, घर आते ही सवालों की बरसात होने लगी...... मां-.... कहां गई थी सुबह - सुबह ? पुलिस स्टेशन गई थी..... मैंने जवाब दिया..... तो इसे छोड़कर क्यों नहीं आई ? माँ ने आँखे दिखाते हुए कहा..... क्योंकि मैं इसे छोड़ने नहीं गई थी.......मैंने नज़रे नीचे करते हुए कहा.... .. तो फिर क्यों गई थी..... माँ ने दांत पीसते हुए कहा...... इसे गोद लेने के लिए...... मेरा यह जवाब सुनकर सब के मुंह से एक साथ निकला..... क्या ?...... सबके चेहरे पर जैसे हवाइयां उड़ने लगी थी...... तू जानती है ना ? कि हमें इसी समाज में रहना है अगर किसी को पता चला कि तूने उस शराबी की बेटी को गोद लिया है तो तेरी शादी में दिक्कत होगी...... मैंने कहा कुछ भी हो पर अब मैं इसे अपने आप से दूर नहीं करूंगी....... सब ने मिलकर मुझे खूब खरी-खोटी सुनाई, मैंने लवली को साथ लिया और हम दोनों मेरे कमरे में आ गए शाम को मेरी ट्रेन थी मैंने अपने सामान की पैकिंग की और हम दोनों आगरा के लिए रवाना हो गए
वहां पहुंचकर मुझे बड़ी खुशी हो रही थी मुझे लग रहा था कि कम से कम यहां तो लवली को मुझसे दूर करने वाला कोई नहीं है पर मैं गलत थी वहां की लड़कियां मुझ पर छींटा कशी करने लगी...... अरे देखो - देखो प्रेरणा ने शादी कर ली और उसकी एक बेटी भी हो गई....... इसके पापा कहां है प्रेरणा ?....बताओ ना..... कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा पर जब मेरे बर्दाश्त करने की क्षमता खत्म हो गई तो मैंने हॉस्टल छोड़ दिया और किराए का कमरा लेकर रहने लगी हमारी जरूरतें बढ़ रही थी और माँ ने पैसे भेजने भी बंद कर दिए थे ! अब मुझे अपना और लवली का खर्च चलाने के लिए पैसों की जरूरत थी...... मैंने वहीं आस-पास के बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया, धीरे-धीरे मेरे पास काफी बच्चे ट्यूशन पढ़ने आने लगे, मैंने लवली का एडमिशन करवा दिया वह बहुत चंचल थी सारा दिन मस्ती करती रहती थी बात - बात पर हंसती और मुझे भी गुदगुदी करके हंसाती थी हमारे दिन मजे में कट रहे थे मेरा बीएड कंप्लीट हो चुका था मैंने प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया था कभी-कभी मां का फोन आता रहता था और हर बार वह मुझे एक ही बात समझाती थी कि लवली को किसी आश्रम में भेज दो, और तुम वापस कानपुर आ जाओ, तुम्हारी शादी की उम्र निकली जा रही है जब तक वह साथ में है तुमसे कोई शादी नहीं करेगा....... और मैं उन्हें यही जवाब देती....... कि मैं लवली के बिना नहीं रह सकती और जिसको मुझसे शादी करनी हो करें ना करनी हो ना करें मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
उस दिन भी जब मां का फोन आया तो उन्होंने मुझे यही समझाया और बताया कि भैया की शादी हो रही है लेकिन अगर मैं उस शादी में शामिल होना चाहती हूं तो मुझे लवली के बिना ही वहां जाना पड़ेगा वरना मैं शादी में शामिल नहीं हो सकती मैंने मां से कहा..... मैं ऐसा नहीं कर सकती...... तो ठीक है...... आज से भूल जा कि तेरे कोई मां-बाप भी थे और भाई था, रह उसी के साथ.... आज से हम भी समझ लेंगे कि तू हमारे लिए मर गई....... और उन्होंने फोन रख दिया
फिर कभी उन्होंने मुझसे बात नहीं की लवली आज 14 साल की हो गई है वह मुझसे बहुत प्यार करती है पूरा दिन बस माँ -माँ करते हुए मेरे आगे पीछे डोलती रहती है, लवली के साथ इतने साल कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला वक्त की रेत मेरे हाथों से फिसलती चली गई और मुझे इसका अंदाजा भी नहीं रहा आज मैं 35 वर्ष की हूं और आज मेरा सब कुछ मेरी बेटी लवली है
मां बाप ने तो पहले ही रिश्ता तोड़ लिया था मुझसे पर मुझे इसका अफसोस नहीं है, हां इस बात की खुशी जरूर है कि लवली ने बचपन में जिस यकीन से मेरा हाँथ पकड़ा था उसके यकीन को मैंने टूटने नहीं दिया, उसका हमसाया बनकर उसके साथ चलने का अपने आपसे जो वादा मैंने किया था वह मेरे जीते जी तो नहीं टूट सकता, आज तक उसके लिए ही जीती रही हूं और अपनी आखिरी सांस तक उसी के लिए ही जिऊंगी
प्रेरणा के लिए लवली वह "खास इंसान" बन कर उसकी जिंदगी में आई जिसके लिए उसने अपनी पूरी जिंदगी अर्पण कर दी ईश्वर जाने उन दोनों का पिछले जन्म में क्या रिश्ता था लेकिन इस जन्म में उनका रिश्ता हर रिश्ते से ऊपर है कोई किसी के लिए अपनी पूरी जिंदगी यूं ही नहीं गुजार देता........
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