* प्रयाश्चित *
कभी-कभी जाने अनजाने हमसे गलती हो जाती है जो पूरी जिंदगी हमारा पीछा करती रहती है हम चाहे जितनी कोशिश कर ले पर यह हमारा पीछा नहीं छोड़ती.....
मैं बहुत छोटा था करीब 7 साल का रहा हूंगा यह तब की बात है.... मैं मम्मी पापा के साथ चिड़ियाघर देखने गया था पापा की रविवार को छुट्टी रहती है पापा हर रविवार को हमें घुमाने ले जाते थे उस दिन भी हर रविवार की तरह पापा हमें घुमाने ले जा रहे थे...... पहले हम बाजार गए वहां से मम्मी ने खाने - पीने की कुछ चीजें खरीदी वही मैंने एक खिलौने की दुकान देखी मैंने खिलौने लेने की जिद की तो पापा उस दुकान पर मुझे ले गए वहां मुझे एक छोटी सी पिस्तौल पसंद आ गई जिसके साथ छोटी -छोटी प्लास्टिक की गोलियां थीं ..... पापा ने मना किया कि यह नहीं लेना इससे किसी को चोट लग जाएगी पर मैंने जिद की तो उन्होंने हां कर दी और कहा कि तुम इससे किसी को नुकसान नहीं पहुंचओगे, मैंने उनसे वादा किया कि मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा फिर वहां से हम चिड़ियाघर आ गए.... वहां पर कई तरह के जानवर थे मुझे बड़ा मजा आ रहा था मैं घूमते - घूमते थक गया और मुझे भूख भी लग रही थी मैंने मां से कुछ खाने के लिए मांगा मां ने मुझे एक बेंच पर बैठाया और कुछ फल निकाल कर मुझे दे दिए मैं फल खा रहा था तभी मैंने देखा कि एक बंदर का बच्चा मुझे घूर रहा था शायद वह मुझसे कुछ फल चाहता था पर मैं समझ नहीं पाया और उसे चिढ़ाने लगा पहले तो वह कुछ नहीं बोला पर कुछ देर बाद वह मेरी तरफ झपटा मां और पापा मुझसे कुछ दूरी पर खड़े थे और आपस में बात कर रहे थे मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं मेरे हाथ में वह खिलौने वाली पिस्तौल थी मैंने आंख बंद करके उसे चलाना शुरु कर दिया...... मैंने अपनी आँखें तब खोलीं जब मां ने मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारा और कहा कि "यह क्या कर दिया तूने "मैंने देखा कि बंदर के बच्चे की दोनों आंखें फूट चुकी थी वह दर्द से कराह रहा था वहां पर धीरे-धीरे भीड़ इकट्ठी हो गई सभी मुझे डांट रहे थे एक व्यक्ति ने तो हद ही कर दी मेरे साथ मेरे मम्मी - पापा को भी बुरा भला कहने लगा, वह बोले.... यह लोग अपने बच्चे को डाकू बनाना चाहते हैं इसलिए ऐसे - ऐसे खतरनाक खिलौने खरीद कर देते हैं मम्मी पापा को बहुत बुरा लगा उन्होंने मेरी पिस्तौल छीन कर फेंक दी और हम लोग घर वापस आ गए मुझे रात में नींद नहीं आ रही थी जैसे तैसे आंख लगी तो उस बंदर के बच्चे का चेहरा मेरी आंखों के सामने घूमने लगा वह बहुत तड़प रहा था वह जानवर था इसलिए हमसे कुछ नहीं कह सकता था पर उसे बहुत तकलीफ हो रही थी मेरी आंख खुल गई मैंने फिर सोने की कोशिश की पर फिर मैं सो नहीं पाया ......
सुबह हुई तो मैंने देखा मम्मी किचन में नाश्ता बना रही थी और पापा ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहे थे सब कुछ नॉर्मल था लग ही नहीं रहा था कि कल कुछ हुआ भी था..... तभी मां ने आवाज दी..... स्कूल नहीं जाना क्या ? जल्दी से तैयार हो जाओ.... वक्त धीरे-धीरे गुजरता रहा लेकिन मैं उस घटना को चाह कर भी भूल नहीं पा रहा था वह एक बुरे सपने की तरह मेरा पीछा करती रहती थी मेरी उम्र धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी मैंने सोच लिया था कि मैं अब कभी किसी जानवर को नहीं सताऊंगा और न ही किसी को सताने दूंगा .... मुझ में समझदारी भी आती जा रही थी मैं कक्षा 8 में पढ़ने लगा था...
एक दिन मेरे स्कूल का एक लड़का जो हमारे घर के पास रहता था उसने चिड़िया के घोसले से उसका बच्चा निकाल लिया मैंने उस लड़के से कहा कि उसे बच्चे को घोसले में रख दे पर वह नहीं माना मुझे गुस्सा आया इससे पहले कि मैं उसके पास जाता वह बच्चे को तेजी से जमीन पर पटक कर भाग गया चिड़िया के बच्चे की टांगे टूट गई और उसे चोट भी लग गई थी..... मैं उस बच्चे को अपने घर ले आया उसके पैरों पर पट्टी बांधी और उसकी अच्छे से देखभाल की कुछ दिनों बाद वह ठीक हो गया और उड़ गया मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई..... बचपन में मुझसे अनजाने में जो गलती हुई थी मैं उसका प्रायश्चित करना चाहता था..... मैंने तब जो भी किया था अपने बचाव में आकर किया था लेकिन खुद को बचाते बचाते मैंने उस बंदर के बच्चे को हमेशा के लिए अंधा कर दिया था....
मैंने खुद से वादा किया है कि जानवरों पर अत्याचार नहीं होने दूंगा हमेशा उनकी मदद करूंगा........
.....शायद ऐसा करने से मेरा प्राश्चित पूरा हो जाए.....
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