*सच्ची सुन्दरता *
गाँव में एक किसान रहता था ! उसकी दो बेटियाँ थी, बड़ी बेटी बहुत सुन्दर थी,उसके काले, घने,लम्बे, रेशमी बाल हिरनी की तरह आँखे, होंठ जैसे गुलाब की पंखुड़ी, जिस्म ऐसा कि जैसे किसी ने साँचे में ढाला हो, सोने की तरह दमकती काया, जो एक बार देखता तो बस देखता ही रह जाता, पर वह बहुत घमंडी थी ! और वहीं छोटी बेटी देखने में साधरण नयन नक्श और सांवले रंग की थी ! पर उसका स्वभाव निर्मल था, बड़ी बेटी का नाम उसकी सुंदरता को देखते हुए रखा गया था ! "रूपा" और छोटी बेटी का नाम उसके स्वभाव के अनुसार "निर्मला" रखा गया था ! निर्मला अपने नाम की तरह ही थी, उसका स्वभाव मीठा था उसके मन में अपने से बड़ों के लिए आदर और छोटों के लिए स्नेह था, उसने बहुत सारी अच्छाइयां थी, उसे अपने सांवले रंग - रूप का थोड़ा सा भी दुख नहीं था, सारे गांव वाले उसे बहुत मानते थे
रूपा घमंडी और जिद्दी स्वभाव वाली होने के साथ-साथ बदतमीज भी थी वह अपने आप को दुनिया की सबसे सुंदर लड़की मानती थी और अपने इस स्वभाव के चलते वह लोगों को काफी खरी-खोटी सुनाती रहती थी गांव वाले उससे बात तक करना पसंद नहीं करते थे, लड़कियां उससे दूर - दूर भागती थी, इसी वजह से उसकी कोई सहेली भी नहीं थी पर इस बात से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था वह हमेशा कहती रहती थी कि मेरी शादी तो किसी राजकुमार से ही होगी !
1 दिन दोनों बहने बगीचे में झूला झूल रही थी उसी समय वहां पर एक युवक आया ! उसने कहा कि वह यहां नया है उसे प्यास लगी है क्या यहां कहीं आस-पास उसे पानी मिल सकता है........ रूपा कुछ कहने ही वाली थी तभी उससे पहले ही निर्मला बोली....... जी जरूर मिल सकता है..... आप इस गांव में मेहमान हैं चलिए मैं आपको पानी पिलाती हूं यह कहकर वह आगे बढ़ी वह युवक भी निर्मला के पीछे जाते हुए बोला..... जी आपका बहुत - बहुत धन्यवाद फिर रूपा की तरफ इशारा करके कहा.. .... यह हमारे साथ नहीं आएंगी...... रूपा-..... तुम्हारे साथ जाएं मेरी जूती, मैं तुम्हारी नौकर थोड़े ही हूं ! निर्मला -....... अरे उसे तो मजाक करने की आदत है, आप बुरा मत मानियेगा, आप मेरे साथ चलिए निर्मला ने बड़ी सफाई से अपनी बहन की गलती छुपाते हुए कहा..... पनघट पर जाकर निर्मला ने उस युवक को पानी पिलाया पनघट के पास ही निर्मला का घर था ! निर्मला के पिता ने उसे आवाज दी...... कौन है बेटा ?.... निर्मला -... कोई परदेसी है पिताजी ! तभी निर्मला के पिता पनघट पर आ गए और बोले, अच्छा बेटा पानी पी लिया !..... लगता है कहीं बाहर से आए हो इससे पहले तुम्हें कभी नहीं देखा....... युवक जी में पास के गांव का रहने वाला हूं....... निर्मला के पिता - आओ बेटा धूप बहुत तेज है हमारे घर पर आकर थोड़ा सा सुस्ता लो , धूप कम हो जाए तो चले जाना.... जी अच्छा कहकर वह युवक निर्मला के पिता के साथ उनके घर चला गया निर्मला भी उनके पीछे चल दी.. .. पिताजी -.... बेटा निर्मला इन के लिए कुछ खाना ले आओ बेचारे परदेसी हैं निर्मला जी अच्छा कहकर खाना लेने चली गई तभी रूपा भी बाग से वापस आ गई उसने उस युवक को देखा तो अपनी आदत के अनुसार उसे बातें सुनाते हुए बोली पानी पी लिया हो तो जाओ या यहीं पर रहने का इरादा है,...... पिताजी -.....बेटा ऐसा नहीं कहते..... रूपा मुंह बनाते हुए अंदर चली गई कुछ देर बाद वह युवक वहां से चला गया...... अब तो वह युवक अक्सर उस गांव में कपड़ों की फेरी लगाने आ जाता था धीरे - धीरे गांव वाले उसे पहचानने लगे थे और उस युवक का स्वभाव भी बड़ा ही मिलनसार था इसलिए गांव वाले उसे बहुत मानने लगे थे !
1 दिन वह युवक रूपा के घर के पास से गुजर रहा था तभी रूपा के पिता ने उसे रोकते हुए कहा, अरे बेटा सुनो -....थोड़ी देर आराम कर लो अभी धूप बहुत तेज है.... जी काका कहकर वह युवक पिताजी के पास बैठ गया ! बातों - बातों में रूपा के पिता ने कहा..... बेटा अगर तुम्हारी नजर में कोई लड़का हो तो बताना रूपा का ब्याह करना है युवक तो जैसे इसी क्षण की प्रतीक्षा कर रहा था उछल कर बोला......... आपको कैसा लड़का चाहिए ? पिताजी देखने में ठीक-ठाक हो और इतना कमा लेता हो कि मेरी बेटी को 2 जून का खाना खिला पाए..... हमें हमारी हैसियत के लोग चाहिए.... धनवान नहीं ! युवक अगर आप कहे तो मैं कल ही आपको ऐसे लड़के से मिलवा दूं....... पिताजी -... यह तो बड़ी अच्छी बात है रूपा की शादी हो जाए तो फिर निर्मला के बारे में भी कुछ सोचूं सोचूं ! वह युवक चला गया अगले दिन एक व्यक्ति रूपा के घर पहुंचा और उनके पिताजी से बोला कि जो युवक यहां फेरी लगाता है वह आपकी बेटी के लिए कैसा रहेगा पिताजी लेकिन मैं तो उसके बारे में ज्यादा नहीं जानता बस इतना ही जानता हूं कि वहां कपड़े बेचने आता है और स्वभाव का अच्छा है लेकिन उसका घर परिवार कहां हैं इसके बारे में उसने कभी नहीं बताया......... वह व्यक्ति यही पास में ही एक गांव है वह वही रहता है मैं उसका दूर का रिश्तेदार हूं अगर आप चाहे तो मेरे साथ चलकर उसका गांव घर देख लो ! अगले दिन रूपा के पिताजी उस युवक के गांव पहुंचे और उनसे मिलकर रिश्ता पक्का कर दिया शाम को जब रूपा के पिता जी घर पहुंचे और उन्होंने रूपा और निर्मला को यह बात बताई तो रूपा गुस्से से बोली -.......आप ऐसा कैसे कर सकते हैं ?मुझसे बिना पूछे आपने रिश्ता पक्का कर दिया, आप किसी से भी मेरी शादी कर देंगे, मुझे वह बिल्कुल पसंद नहीं है और फिर उसका काम देखिए फेरी लगाता है मुझे उससे शादी नहीं करनी आप उसे मना कर दीजिए मेरी शादी तो किसी राजकुमार से ही होगी ! पिताजी -.....बेटा हम गरीब किसान हैं हमारे घर कोई राजकुमार कैसे रिश्ता जोड़ेगा सपने मत देखो....... रूपा-... मैं सपना नहीं देख रही हूं, सच कह रही हूं, मैं इतनी सुंदर हूं कि कोई भी राजकुमार मुझे खुशी - खुशी अपनी रानी बना लेगा ! पिताजी - बेटा ऐसा नहीं कहते..... बात को समझो, वह बहुत अच्छा लड़का है तुम्हें कभी कष्ट नहीं देगा पर रूपा नहीं मानी !
अगले दिन वही युवक फेरी लगा रहा था रास्ते में उसे रूपा मिल गई रूपा ने उसे रोक कर कहा ...... क्या समझते हो अपने आप को, ? कहीं के राजकुमार हो क्या ? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे शादी के बारे में सोचने की, फटीचर कहीं के.... अगर दोबारा मेरे पिताजी के पास आए ना तो कहे देती हूं...... ठीक नहीं होगा...... युवक - बड़ा घमंड है तुम्हें अपनी सुंदरता पर यह ठीक नहीं है, मैं तो तुम्हें हमेशा खुश रखना चाहता था.... क्योंकि मैं तुम से प्रेम करने लगा था किंतु तुम्हारे स्वाभाव से परिचित नहीं था, आज पता चला कि तुम बहुत बदसूरत (कुरूप) हो, क्या कहा.... तुम्हारी आंखें फूट गई है क्या ?दिखाई नहीं देता ?मैं कितनी सुंदर हूं, रूपा चिल्लाकर बोली.. .. युवक-.... तुम्हारी यह सुंदरता किसी काम की नहीं है तुम्हें किसी से बात करने की तमीज ही नहीं है और ना ही तुम्हें किसी का सम्मान करना आता है बस अपनी सुंदरता के घमंड में दूसरों को अपमानित करती रहती हो बिना यह सोचे कि तुम्हारी ऐसी बातें दूसरों को कितनी तकलीफ देती हैं..... अच्छा हुआ..... तुम्हारी सच्चाई आज ही मेरे सामने आ गई..... मैं क्या ? दुनिया का कोई भी व्यक्ति तुम जैसी लड़की को अपनी जीवन संगिनी नहीं बनाना चाहेगा..... अब मैं तुमसे शादी करने से इंकार करता हूं....... रूपा -..बड़े आए शादी ना करने वाले..... तुम जैसे भिखारी से मैं तो खुद शादी नहीं करना चाहती !..... निर्मला वहां से गुजर रही थी उसने उन दोनों की बातें सुन लीं थी वह रूपा को ऐसी बातें करने से रोकना चाहती थी पर वह जानती थी कि वह नहीं मानेगी इसलिए चुपचाप आगे जाकर उस युवक का इंतजार करने लगी वह युवक जैसे ही उसके पास से गुजरा निर्मला ने उसे रोकते हुए कहा -.... माफ कीजिए मुझे आपसे कुछ कहने का अधिकार तो नहीं है पर मैं मेरी बहन की कही हुई बातों के लिए आपसे हाथ जोड़कर क्षमा मांगती हूं, वह थोड़ी सी जिद्दी है पर दिल की बुरी नहीं है उसका स्वभाव थोड़ा चिड़चिड़ा है, मां बचपन में गुजर गई थी ना,.. इसलिए पिताजी ने हमें बड़े लाड - प्यार से पाला है मां होती तो शायद रूपा ऐसी नहीं होती...... युवक आप दोनों सगी बहने हैं ना.... निर्मला -... जी हां..... युवक - कितना फर्क है आप दोनों में आपका स्वभाव कितना मीठा है, आप तो अपनी बोली से मुर्दे ( मृत व्यक्ति ) में भी जान डाल दें..... रूपा तो केवल देखने में सुंदर है पर आप तो सुंदरता की खान है आपसे शादी करके तो कोई भी गर्व महसूस करेगा !
आपने पहले की तरह इस बार भी अपनी बहन की गलतियों पर बड़ी सफाई से पर्दा डाल दिया आप जैसी बहन के साथ रहकर भी रूपा ने कुछ नहीं सीखा उसे तो बस अपनी सुंदरता दिखाई देती है...... माना की सुंदरता हर नारी का सपना होता है परंतु सच्ची सुंदरता तो वह है जो मन में होती है, उसके स्वभाव में होती है जैसे कि आप में हैं इंसान चाहे शरीर से सुंदर ना हो पर उसके गुण सुंदर होने चाहिए शरीर की सुंदरता तो बस कुछ ही दिनों की होती है पर जिस व्यक्ति की आत्मा, स्वभाव, गुण सुंदर होते हैं पर मरते दम तक उसके साथ रहते हैं.... यह कहकर वह युवक वहां से चला गया !
अगले दिन वहां के राजा ने रूपा के पिता को बुलवाया -....रूपा के पिता जैसे ही दरबार में पहुंचे तो यह देख कर आश्चर्यचकित रह गए कि जो युवक उनके गांव में फेरी लगाता था वह राजा के बगल वाले सिंहासन पर बैठा था और जो व्यक्ति रूपा के लिए उस युवक का रिश्ता लेकर गया था वह उस राज्य का मंत्री था वह कुछ समझ पाते इससे पहले मंत्री जी ने कहा......... आज आपको दरबार में एक खास काम के लिए बुलाया गया है.... महाराज चाहते हैं कि आप अपनी बेटी निर्मला की शादी राजकुमार प्रकाश से कर दें...... पिताजी की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें.... उन्होंने तो यह सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी बेटी निर्मला का ब्याह एक राजकुमार से होगा.... मंत्री जी ने फिर पूछा.... क्या आपको यह रिश्ता मंजूर है ? पिताजी के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी उन्होंने हां में सिर हिलाया.... और अपने घर वापस आ गए..... रूपा, निर्मला बहुत परेशान थी कि आखिरकार पिताजी को राजा साहब ने क्यों बुलाया है जैसे ही पिता जी घर पहुंचे दोनों बेटियां आकर उनसे सवाल करने लगी.... पिता जी आपको राजा साहब ने क्यों बुलाया था ? क्या आप से कोई गलती हो गई ? क्या आप........ अरे...... रुको -रुको कुछ बोलने दोगी, या बस सवाल पर सवाल करती जाओगी..... बताता हूं ! पिताजी हंसते हुए बोले...... हमारी निर्मला को राजा साहब ने अपने बेटे के लिए पसंद कर लिया है और वह राजकुमार का ब्याह उसके साथ करना चाहते हैं....... रूपा-.... यह कैसे हो सकता है ? क्या उन्हें मैं दिखाई नहीं दी, आसपास के किसी गांव में मुझसे सुंदर लड़की नहीं है..... तभी राजकुमार वहां आ गए और बोले तुमने सच कहा...... अरे तुम यहां ?........मैंने कहा था ना, कि कभी मेरे घर मत आना....... और यह क्या वेश बनाए हो ?..... राजकुमारों जैसे कपड़े पहन कर तुम राजकुमार नहीं बन जाओगे,... वही रहोगे फटीचर के फटीचर...... चलो भागो यहां से..... पिताजी रूपा को रोकते हुए....... अरे यह क्या कह रही हो..... यही तो है यहां के राजकुमार.... यह और राजकुमार रूपा खिलखिला कर हंस पड़ी, पिता जी यह कोई बहरूपिया है....... तभी राजकुमार बोले.... रूपा तुम अपने आप को कितना ही सुंदर कह लो पर तुम मेरी नजर में सुंदर नहीं हो हां यह सच है कि मैंने जब तुम्हें बगीचे में झूला झूलते देखा था तो मैं तुम्हारी सुंदरता पर मोहित होकर तुम्हारे गांव चला आया था पर यहां आकर मुझे सच्चाई का पता चला की हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती, तुम खूबसूरत हो, पर तुम्हारे गुण उतने ही बदसूरत हैं..... अगर मैंने तुम्हें जाने बिना तुमसे शादी कर ली होती तो आज मैं बहुत पछता रहा होता.... रूपा राजकुमार की तरफ अपनी डबडबाई आँखों से बस देखे जा रही थी..... उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था, उसे लग रहा था कि उसने जो सुना वह झूठ है..... तभी मंत्री जी आए और बोले राजा जी ने कल का मुहूर्त निकलवाया है कल हम आपकी बेटी निर्मला को यहां से ब्याह कर ले जाएंगे !
दूसरे दिन धूमधाम से निर्मला की शादी हुई निर्मला बहुत खुश थी उसे तो अपने भाग्य पर यकीन ही नहीं हो रहा था. . पर उसे अपनी बहन के लिए बहुत अफसोस भी हो रहा था रूपा का घमंड चूर -चूर हो गया था उसकी समझ में आ गया था कि तन की सुंदरता से ज्यादा जरूरी है मन की सुंदरता और गुण इसे ही सच्ची सुंदरता कहते हैं !.......
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